चेले और शागिर्द

सोमवार, 4 मई 2015

''हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ''

पिछले शुकवार की रात [१ मई २०१५] को महाराष्ट्र से आ रहे जमातियों से बड़ौत रेलवे स्टेशन पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बदसलूकी और जमातियों के पक्ष में आये सम्प्रदाय विशेष के उग्र समर्थकों द्वारा थाने व् रेलवे स्टेशन पर किये गए हिंसक प्रदर्शन ने कांधला [शामली] कसबे के अमन-चैन को तहस-नहस कर डाला . कांधला फाटक पर हुए बवाल के चलते दिल्ली-सहारनपुर रूट पर कई ट्रेन बाधित हुई थीं। हजारों यात्री मुसीबत में फंसे थे। तोड़फोड़, पथराव के बाद दहशतजदा यात्री जंगलों में छिपकर यहां से निकले। ऐसी घटनाओं से आम जन का दैनिक जीवन अनेक समस्याओं से भर जाता है . असामाजिक तत्वों की करतूतों को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए और ऐसी वारदातें फिर न हो इसके लिए जिम्मेदार नागरिकों को अमन -चैन बनाये रखने हेतु अपने स्तर से प्रयासरत रहना होगा .कोई भी ऐसा काम न करें जिससे किसी दुसरे धर्म के अनुयायी की भावनाओं को ठेस पहुंचे . वरना यही कहना होगा - माहौल तो काबू में है ; चेहरे ज़र्द हैं ! नफरतों के बोझ से दिलों में दर्द हैं ! ....................................................... है ज़हालत का ये सारा खेल कितना खौफनाक , हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ......................................................... फ़सादी लूटते हैं जो औरतों की अस्मतें , जानवर हैं वे सभी ; मर्द वे नामर्द हैं ! ......................................................... बेमुरौवत नफरतों की आग हैं भड़का रहे , ये अमन की आँख में झोंक रहे गर्द हैं ! .......................................................... मिट रहा 'नूतन' सुरूर आपसी यक़ीन का , हो बाज़ार या मिज़ाज़ पड़ गए ये सर्द हैं ! शिखा कौशिक 'नूतन'

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

एक अच्छी रछना के माध्यम से आज की त्रास्दी को ब्यां किया .शुभ्कामनायं1